Sunday 12 December 2021

हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन क्या है?

 हमारे शरीर का मैकेनिज्म  कुछ ऐसा है कि tissues और organs को कार्य करने के लिए oxygenated blood (ऑक्सीजन युक्त ब्लड) की ज़रुरत पड़ती है. इस ब्लड को पहुंचाने का काम हमारा circulatory system करता है. हृदय इस सिस्टम का एक हिस्सा है. हृदय का धड़कना एक प्रेशर क्रिएट करता है जो खून को हमारे blood vessels जिसमें  arteries, veins और cells शामिल हैं में push करता है. इसी प्रेशर को blood pressure या रक्तचाप कहते हैं.


हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि इसके कोई खास लक्षण नहीं होते। हाई बीपी वाले इंसान को यह पता ही नहीं चल पाता कि उसे उच्च रक्तचाप की समस्या है और उसकी जान भी चली जाती है। दुश्मन को मात देनी हो तो पहले उसके बारे में जान लेना चाहिए। ठीक उसी तरह बीमारी से दूर रहना हो तो पहले ही उसके कारणों को जानकर नष्ट कर देना ही समझदारी है। आईए जानते हैं कि हाइपरटेंशन क्या है और हाइपरटेंशन के प्रकार क्या हैं?

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी - कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।

हाइपरटेंशन का दूसरा नाम हाई ब्लड प्रेशर है। उच्च रक्तचाप का अर्थ है रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड वेसल में रक्त का दबाव बढ़ जाना। रक्त का दबाव बढ़ने के कारण दिल और तेज काम करने लगता है। यही स्थिति हार्ट अटैक और स्ट्रोक को जन्म देती है। यह दो ऐसी समस्याएं हैं जो देश ही नहीं दुनिया भर में तेजी से लोगों के लिए बड़ी समस्या बन रही है।

नॉर्मल ब्लड प्रेशर क्या है? 

सामान्यतौर पर रक्तचाप स्तर को 120/80 mmHg के तहत रीड किया जाता है। 120/80 mmHg रक्तचाप नॉर्मल होता है। जब इससे ज्यादा ब्लड प्रेशर जाने लगे तो इसे बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कहा जाता है। 139/89 mmHg तक की रीडिंग को विशेषज्ञ बहुत गंभीर रूप से नहीं लेते। यह जरूर है कि 139/89 mmHg रक्तचाप होने के बाद आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत होती है

हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं।

हमारे देश में लगभग 10 करोड़ केस हाई ब्लड प्रेशर के प्रति वर्ष बढ़ रहे है जिनका मुख्य कारन अनावश्यक मानसिक तनाव, खान - पान एवं आधुनिक भाग दौड़ में अधिक से अधिक पा लेने की होड़ जिसमे लोग अपनी सेहत को अपने काम से ज्यादा मूल्यवान समझने लगते है लेकिन जब उन्हें यह ज्ञात होता है की उनका हेल्थ ठीक रहना पहले जरुरी है, यह किसी न किसी बीमारी में खुद फसने या किसी प्रियजनों के लिए हॉस्पिटल के चक्कर में लगाने के दरम्यान समझ में आ जाता है, कुछ लोग तो समझ जाते और अपने हेल्थ को प्राइमरी महत्व देने लग जाते है वे यह समझ जाते है की जान है तो जहान है और जो  लोग समय पर भी हेल्थ के महत्त्व को नहीं समझ पाते उनको फिर आनेवाले वक्त में कोई रोग उनको वक्त नहीं देता जिससे वो संभल पाए अतः वक्त पर हेल्थ के प्रति जागरूक होना जरुरी ही नहीं बहुत अनिवार्य है यदि आप अपने स्वास्थय के प्रति ईमानदार नहीं है तो फिर आप लापरवाह है, और लापरवाह लोग कोई भी काम को लापरवाही से ही करेंगे ऐसे में जरुरी है की आप जिम्मेदार बन कर रहे क्युकी आप की सेहत सिर्फ आपके लिए ही नहीं है आपके परिवार, दोस्त,समाज, देश और पुरे विश्व के लिए है क्यूंकि आप की जरुरत और फ़िक्र सबको होती है और यह विपत्ति के समय खुद ही पता चल जाता है |

हेल्थ को हमेशा प्राथमिक महत्त्व दे और अनुभवी डॉक्टर से मिले यदि कोई हेल्थ सम्बन्धी समस्या हो रही हो | बीमारी कोई छोटी या बड़ी नहीं होती आप अपने सेहत का ख्याल खुद रखें और लोगों को भी जागरूक करे नियमित व्यायाम करे और अपने रोज मर्रा के कार्य को सेहत को ध्यान में रखकर करें और अपने खान पान और जीवन - शैली को सेहत मंद बनाये क्युकी पैसा और स्टेटस आपके स्वास्थय से बड़ा नहीं है कुछ लोग हमेशा यह कहते हम सुनते है की अरे! समय नहीं है काम से फुर्सत कहाँ है और अक्सर एहि राग अलापते रहते है ऐसे में वो दूसरे के सामने खुद का स्टेटस तो बता देते है की उनके पास कितना काम है की और लोगों के लिए उनके पास समय अब बचा ही नहीं है चाहे उनके अपने बच्चे को भी किसी छुट्टी के दिन कही घुमाने की बात होती हो या कोई करीबी रिस्तेदार जो बार - बार बुलाता हो मिलने के लिए जो खुद से जाने में असमर्थ हो हम उस से भी नहीं मिलने जाते है क्यूंकि हम तो अपने काम में ऐसे व्यस्त है की औरों के लिए अब टाइम बचा ही नहीं है और जब हेल्थ सम्बन्धी समस्या आ जाती है और चाहे खुद हो या कोई करीबी जब हॉस्पिटलाइज हो जाता है तो हम सब काम छोड़कर हॉस्पिटल में सारा समय देने लगते है जब तक की हमारा करीबी जो बीमार हुआ होता है ठीक नहीं हो जाता अतः हम यही बताना चाहते है आप अपने जो भी काम अपने आर्थिक और जीविकोपार्जन हेतु करते है कीजिये लेकिन आप अपने हेल्थ का भी ध्यान प्राइमरी मान का चले क्युकी आपका हेल्थ यदि बढ़िया होगा तभी आपके कार्य भी निरंतर गति में होगा और हेल्थ के लिए घूमे - फिरे, व्यायाम करे, अभी तो संभव नहीं है आपके कही बाहर निकलना क्युकी देश में अभी लॉक डाउन की स्थिति है, ऐसे में आप घर में व्यायाम, योग हर दिन करते रहे परिवार के साथ मिलकर कोई ऐसा गेम खेलें या मनोरंजन का खेल खेले जिस से मन सबका प्रसन्न रहे क्युकी प्रसन्न मन लाखों बिमारियों को अकेले ही दूर भगा दे सकता है, दुनिया आज कोरोना वायरस द्वारा उत्पन्न महामारी से त्रस्त है, दुनिया की सभी सरकारें भी अपने - अपने देश वाशियों को सेहत को लेकर समझा रही है और जो रोग ग्रसित है बचा रही है आज हर एक व्यक्ति का मुख्य कर्तव्य है की हम अपने देश हित में सोचे और अपनी सेहत को ठीक रखें और बिमारियों से दूर रहे क्यूंकि बाहर कोरोना संक्रमण है ऐसे में आपका बाहर निकलना कोरोना से जंग जितने में मुश्किल पैदा कर सकता है अतः जब तक सरकार द्वारा जनहित में जारी निर्देश है, उसका सही से पालन करे|



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