Monday 13 December 2021

गठिया (Arthritis): गठिया रोग के कारण, लक्षण और घरेलु उपचार!!

गठिया शरीर के किसी भी एक जोड़ से शुरु होता है और धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ पर असर डालता है। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन रहती है। सभी जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। क्योंकि गठिया हड्डियों और जोड़ों में होने वाली बीमारी है तो इससे जाहिर है की यह शरीर के उन हिस्सों पर आघात करता है जहां हमारी हड्डियों के जोड़ होते हैं। गठिया के रोगी सालों इलाज कराते रहते हैं फिर भी ठीक नहीं हो पाते और इसके कारन सारी जिंदगी दवा खानी पड़ती है। व्यक्ति को चलने-फिरने और अपने रोजमर्रा के कार्य करने में भी परेशानी होती है।

क्या होता है गठिया रोग??

गठिया अनुवांशिक एवं जीवनशैली से जूड़ी बीमारी है। गठिया रोग एक लंबे समय तक रहने वाला रोग है। इसे आर्थराइटिस (गठिया) के नाम से भी जाना जाता है। जिसके होने से जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न आने लगती है। आम तौर इसके लक्षण हाथ, पैर और कलाई में दिखाई पड़ते हैं। इस बीमारी के मरीजों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है।

गठिया कई प्रकार के होते हैं लेकिन ज्यादातर सामान्य प्रकार के गठिया पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस हैं।

गठिया शरीर के किसी भी एक जोड़ से शुरु होता है और धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ पर असर डालता है। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन रहती है। सभी जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। क्योंकि गठिया हड्डियों और जोड़ों में होने वाली बीमारी है तो इससे जाहिर है की यह शरीर के उन हिस्सों पर आघात करता है जहां हमारी हड्डियों के जोड़ होते हैं। गठिया के रोगी सालों इलाज कराते रहते हैं फिर भी ठीक नहीं हो पाते और इसके कारन सारी जिंदगी दवा खानी पड़ती है। व्यक्ति को चलने-फिरने और अपने रोजमर्रा के कार्य करने में भी परेशानी होती है। लगातार दवाओं के सेवन से रोगी के अंग भी टेढ़े-मेढे होने लगते है। रोगी बिस्तर पर चला जाता है और चलने-फिरने से लाचार हो जाता है। धीरे-धीरे सूजन के साथ गांठ भी बन जाती है जो बहुत ही पीड़ादायक होता है। ज्यादातर लोगों में ये समस्या उम्र बढ़ने के साथ दिखाई देती है, लेकिन आजकल कम उम्र के लोगों में भी ये समस्या देखी जा रही है।

कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है जहाँ लक्षण बद से बदतर हो जाएँ, जिसे फ्लयेर-अप्स या फ्लेयर्स के नाम से जाना जाता है।

वैसे तो फ्लेयर्स का अनुमान लगाना मुश्किल होता है, लेकिन इलाज की मदद से इन फ्लेयर्स की संख्या और फ्लेयर्स से हो रहे जोड़ों के नुकसान को लम्बे समय तक के लिए कम किया जा सकता है।

गठिया रोग से प्रभावित कुछ लोगों को शरीर के अन्य भागों में समस्याओं का अनुभव या सामान्य तौर पर देखे जाने वाले लक्षण जैसे थकान और वजन में कमी का अनुभव होने लगता है।

गठिया के प्रकार(Types of Arthritis):  

गठिया 8 प्रकार के होते हैं जैसे-

  1. इन्फ्लैमरेटरी (सूजन) गठिया
  2. डीजनरेटिव या मकैनिकल गठिया
  3. ऑस्टियोआर्थराइटिसनरम
  4. नरम ऊतकमसक्‍यूलोस्‍केलेटल (पेशीय) दर्द
  5. सेप्टिक गठिया
  6. मेटाबोलिक गठिया
  7. किशोर गठिया (जेए)
  8. स्पोंडिलोआर्थ्रोपैथी
  9. गाउट गठिया (वातरक्त)

गठिया रोग की जटिलताएँ भयावह हैं:

गठिया रोग होने से अन्य बीमारियों के लक्षण पैदा हो सकते हैं, जो जीवन के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

संभावित जटिलताएँ इस प्रकार हैं-

  • कार्पल टनल सिंड्रोम(कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में उत्पन्न होने वाला तड़पा देने वाला दर्द है)।
  • शरीर के अन्य भाग (जैसे फेफड़े, हृदय और आँखों) में सूजन।
  • दिल का दौरा और सदमा बढ़ने का जोखिम।

ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि गठिया रोग को नियंत्रित किया जाये ताकि इससे होने वाली जटिलताओं और जोखिम को कम करने में सहायता मिल सके।

गठिया के प्रमुख लक्षण (Prime Symptoms of Arthritis):

गठिया के लक्षण इस प्रकार हैं-

  • गठिया का सबसे बड़ा लक्षण जोड़ों में दर्द होना होता है। जो चलते समय, उठते-बैठते हर समय दर्द होता रहता है।
  • नहाते समय, हिलते-डुलते समय तेज दर्द होना।
  • गठिया वाले जगह अर्थात जोड़ों पर सूजन, अकड़न और लाल होना।
  • ठंडे मौसम या ठंडे चीज़ों के संपर्क में आने से और ज्यादा दर्द और परेशानी का सामना करना। कोई भी काम करने में असमर्थ होना।
  • थकावट, कमजोरी और चिड़चिड़ापन होना।

गठिया के अतिरिक्त लक्षण:

गठिया रोग से प्रभावित कुछ लोगों को जोड़ों की समस्याओं के साथ और भी जिन सामान्य लक्षणों का अनुभव होता है, वो हैं:

  • थकान और ऊर्जा की कमी
  • बढ़ा हुआ तापमान (बुखार)
  • पसीना
  • भूख कम लगना
  • वजन में कमी

गठिया रोग से होने वाली जलन या सूजन कभी-कभी शरीर के अन्य भागों को प्रभावित कर समस्याएँ पैदा कर सकती हैं, जैसे कि:

  • आँखों का सूख जाना - यदि आँख प्रभावित हैं
  • सीने में दर्द – अगर दिल या फेफड़े प्रभावित हैं

गठिया के कारण (Cause of Arthritis):

गठिया रोग उत्पन्न का कारण पीड़ित व्यक्ति की गठिया के प्रकार पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में, इस परेशानी का मुख्य कारण उपास्थि, एक ऊतक जो हड्डियों को एक-दूसरे से जोड़े रखता है, इसका टूटना-फूटना होता है। यह हमारे कंकाल तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह मांसपेशियों के ग्लाइडिंग (फिसलने) में सहायता करता है जिससे शरीर की गतिविधियों में मदद मिलती है। उपास्थि(कॉर्टेज)  की कमी होने के कारण विभिन्न प्रकार के गठिया हो सकते हैं।

गठिया के कुछ अन्य कारण भी शामिल हैं-

  • चोट लगना भी गठिया बनने का कारण हो सकता है।
  • इम्यून सिस्टम का एब्नार्मल फंक्शन करने के कारण रूमेटोइड गठिया बन सकता  है।
  • एबरेंटमेटाबोलिज्म(चयापचय), भी गठिया का एक कारण है।
  • वंशानुगत ऑस्टियोआर्थराइटिस भी गठिया को प्रेरित कर सकती है।
  • संक्रमण
  • सर्जरी
  • धूम्रपान
  • अधिक शारीरिक कार्यकलाप

गठिया के प्रमुख कारण ((Prime Cause of Arthritis) :

गठिया के प्रमुख कारण यूरिक एसिड है। हमारे शरीर में यूरिक एसिड का निर्माण कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से मिलने वाले यूरिक एसिड के टूटने से होता है। यही यूरिक एसिड बनने के बाद हमारे ब्लड में घुलकर किडनियों से होते हुए यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है, लेकिन अगर यह यूरिक एसिड यूरिन के जरिए बाहर नहीं निकल पाता है तो यह हमारे ब्लड में ही इकट्ठा होने लगता है। यह यूरिक एसिड हमारी किडनियों और जोड़ों में इकट्ठा होकर वहां गठिया औऱ गुर्दों की पथरी जैसी समस्या पैदा करता है।

गठिया का घरेलु उपचार (Home Treatment of Arthritis):

  1. बथुए का सेवन: बथुए का रस है रामबाण गठिया के लिए - हर रोज ताजा बथुआ का रस निकालकर पिने से गठिया में अचूक फायदा मिलता है। ये बेस्वाद होता है परन्तु इसमें स्‍वाद के लिए कुछ भी न मिलाएं। ये रस खाली पेट पीने से ज्‍यादा फायदा होता है। तीन महीने तक ये रस पीने से दर्द से हमेशा के लिए निजात मिल जाती है।
  2. हर दिन सेब का सेवन: हर दिन सेब खाना फायदेमंद होता है। ये सेब ऑर्गेनिक होने चाहिए, तभी फायदा मिलेगा। इसलिए आप हर दिन एक सेब जरूर खाएं। लेकिन इस सेब को छीलकर खाएं। ताकि इसके छिलके को हटाकर इसमें हानिकारक रसायनों के प्रभाव को कम कर सके।
  3. रोज 4 लीटर पानी सेवन: गठिया के रोगियों को अपनी अतिरिक्त देखभाल की जरुरत होती है। हर दिन कम से कम चार लीटर तरल पदार्थ का सेवन करना अनिवार्य है। इसमें सादा पानी, नींबू पानी, जूस, शरबत आदि को शामिल कर सकते हैं।
  4. अलसी के बीज का सेवन: हर दिन अलसी के बीच चबाकर खाने से आपको यूरिक एसिड नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। आप हर दिन एक छोटा चम्मच अलसी के बीजों का सेवन कर सकते हैं। ये बीज आप खाना खाने के बाद, नाश्ते और खाने के बीच के समय में भी खा सकते हैं।
  5. विटमिन-सी का सेवन: गठिया के रोगियों को विटमिन-सी युक्त खाद्द्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे संतरा, मौसमी, नींबू, अनानास, कीवी और बेरीज। लेकिन इस सभी का सेवन दोपहर के समय करें। सुबह या शाम के समय इनके सेवन से आपको दर्द की समस्या अधिक हो सकती है।
  6. बहुत ठंडा खाने से बचें: गठिया के रोगियों को ऐसी चीजें खाने से बचना चाहिए जो अहसास में ठंडी होती हैं या जिनकी तासीर ठंडी होती है। जैसे, प्योर मूंग की दाल, खट्टी या फ्रिज में रखी हुई दही, खट्टी और ठंडी छाछ। इसके साथ ही आइसक्रीम, कुल्फी और बर्फ से तैयार चीजों का कम से कम सेवन करना आपके लिए फायदेमंद होगा।
  7. अधिक प्रोटीन से बचें: गठिया के रोगियों को ऐसा भोजन खाने से बचना चाहिए जिसमें प्रोटीन की अधिकता हो।
  • साथ ही गठिया के रोगियों को ऐसी चीजें भी अपने भोजन में शामिल नहीं करनी चाहिए, जो शरीर में वायु बढ़ाने का काम करती हैं।
  • जैसे, छोले, चना, राजमा, अरबी, कटहल, आदि ना खाएं। साथ ही घी या तेल में तलकर तैयार की गई खाद्य वस्तुएं यानी डीप फ्राइड भोजन का सेवन ना करें।
  • मैदा से बने बिस्किट्स, स्नैक्स और चिप्स वगैरह खाने से भी बचें। क्योंकि मैदा फैट बढ़ाने और पेट में गैस बनाने का काम करती है। यह आपके दर्द को बढ़ा सकती है।
  1. मछली और अखरोठ से दूरी बनाये: नॉनवेज लवर्स के लिए मछली बहुत प्रिय होती है क्योंकि यह पोषक तत्वों का खजाना भी होती है। वहीं, ड्राइफ्रूट्स लवर्स के लिए अखरोठ से दूर रखना आसान नहीं होता है। लेकिन आपको बता दें कि गठिया का रोग होने पर आपको इन दोनों से दूर रहना चाहिए। क्योंकि अखरोठ और मछली दोनों में ही ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा में वृद्धि करने का काम करता है । इससे आपको इन्हें खाने का लाभ कम और हानि ज्यादा पहुँचती है। इसलिए इनसे बचना या बहुत ही कम मात्रा में इनका सेवन कर करना चाहिए।
  2. एलोविरा का सेवन: एलोविरा के पत्ते को काटकर उसका जेल दर्द होने वाली जगह पर लगाएं। बाजार में मिलने वाला एलोविरा जेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं मगर घर पर अगर पेड़ है तो ये काफी फायदेमंद होगा।
  3. तेलों का मसाज: सूजन और गठिया के दर्द से राहत दिलाने में सरसों के तेल का कोई मुकाबला नहीं। सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलियां डालकर उबालें फिर लगाएं तो अचूक फायदा होगा। लहसुन का तेल गर्म करके इसमें प्याज का रस डालें और जोड़ों पर मलें। इसके बाद इसे प्लास्टिक के कवर से ढककर गर्म तौलिया लपेटें। रोजाना सोने से पहले ये उपचार करें, काफी फायदा मिलेगा।
  4. अदरक गुणकारी है: अदरक आसानी से घर में पाया जाता है। इसमें प्राकृकित रूप से एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। रोजाना खाने के साथ कच्चा अदरक खाने से रक्त संचार बढ़ाने के साथ ये दर्द में राहत देता है। इसे सलाद में घिसकर या शहद के साथ भी खा सकते हैं। इसके अलावा अदरक का तेल भी दर्द वाली जगह पर लगाना फायदेमंद होता है।
  5. लहसुन बहुत लाभकारी है गठिया के इलाज में: गठिया के इलाज में लहसुन सबसे जाना-माना और लाभकारी इलाज है। इसका सेवन रोज करने से गठिया के रोग में आराम मिलता है। लहसुन की तीन से चार कलियां सुबह खाली पेट में लेना आरामदायक होता है। यदि इसे खाना पसंद न हो तो इसमें सेंधा नमक, जीरा, हींग, पीपल, काली मिर्च और सौंठ सभी की 2 – 2 ग्राम मात्रा लेकर अच्‍छे से पीस लें। इस पेस्ट को अरंडी के तेल में भून लें और बॉटल में भर लें। दर्द होने पर लगा लें, इससे फायदा मिलेगा।
  6. भाप लेना फायदेमंद: गठिया में सिकाई मना होता है। लेकिन भाप से सेंक ले सकते हैं। इसके लिए बाल्टी में पानी गर्म डालकर उससे भाप ले सकते हैं।

गठिया की बीमारी में ध्यान देने योग्य बातें:

  • सुबह खाली पेट में नींबू मिलाकर गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है।
  • दिन में एक बार सूखे अदरक को पानी में उबालकर उस पानी का सेवन करें।
  • दस से पंद्रह मिनट तक धुप का सेवन करना लाभकारी होता है।
  • नहाने से पहले दर्द वाले हिस्से और जोड़ों की तेल से मालिश करें।
  • दोपहर का भोजन 12 बजे और रात का भोजन शाम को 7 बजे से पहले कर लेना चाहिए।
  • भोजन से पहले टमाटर या सब्जियों का सूप लें। फिर सलाद खाएं और उसके बाद हरी सब्जी और रोटी लें।
  • भोजन के दौरान पानी नहीं पीएं।
  • मट्ठा या छाछ ले सकते हैं।
  • शाम को फलों का रस लें।
  • रात के समय हल्का भोजन करें।
  • लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने या बैठने से बचें।
  • उन स्थितियों में मूवमेंट से बचें वरना दर्दनाक जोड़ों पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है।
  • फर्श पर बैठने से बचें।
  • अपने मूवमेंट को आसान बनाने के लिए अपनी गतिविधियों में बदलाव लाएं।
  • जब दर्द और अकड़न जैसे लक्षण बढ़ रहे हों तो आवश्यक आराम करें।
  • वजन अधिक होने पर वजन कम करने की कोशिश करें, क्योंकि यह जोड़ों पर दबाव कम कर के दर्द को कम करता है।





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