भारतीय मसालें भोजन में स्वाद बढ़ाने के साथ- साथ मनुष्य के स्वास्थय के लिए भी लाभप्रद होते हैं. भारत के सभी कोनो में तरह- तरह के मसाले पाए जाते हैं. जो खाने को लजीज बनाते हैं. हमारा देश हमेशा से मसालों से भरपूर रहा है.
मसालें(Spices)
इनके बारे में हम बाद में चर्चा करेंगे, पहले हम उन मसालों के बारे में जानते हैं जो आमतौर पर भारतीय रसोई में उपयोग किए जाते हैं।
- बेशक ज्यादातर भारतीयों को चटपटा और मसालेदार खाना बहुत पसंद होता है और यही वजह है कि हमारे यहाँ ज्यादातर खाने में मसालों का भरपूर प्रयोग किया जाता है. दुनियाभर के कुल मसालों का 70% हिस्से का उत्पादन हमारे देश में ही होता है. दुनिया के अधिकांश घरों में भारतीय मसाले पाए जाते है.
- 18 वीं सदी के समय, जब अमेरिका एक स्वतंत्र देश के तौर पे उभरा था तबसे ही अमेरिका के लोगों ने भारत के किसानों से मसालों का व्यापार स्टार्ट कर दिया था. इस प्रकार मसाले पश्चिमी सभ्यता का भी हिस्सा बन गये.
- 14 वीं शताब्दी के समय मसाले सोने से भी ज्यादा कीमती मानें जाते थे.
- 4 थी सदी के समय काली मिर्च को एक अहम् मसाला माना जाता था, साथ ही विश्व में यह बेहद लोकप्रिय था. ग्रीस के लोग इसे ब्लैक गोल्ड कहा करते थे. भारत में लगभग 5,000 सालों से नमक का उत्पादन होता आ रहा है. हमारा रसोईघर अर्थात किचन कई सारे औषधीय तत्वों तत्त्वों से भरा रहता है. मसाले के इन गुणों के कारण हमें कई सारी पुरानी बीमारियों से लड़ने में काफी मदद मिलती है. बिना मसालों के हमारे किचन में स्वाद आ ही नहीं सकता.
ज्यादातर लोगों को मसालों के औषधीय गुणों के बारें में जानकारी कम ही होती है. तो चलिए जानते हैं मसालों के औषधीय गुणों से होने वाले लाभ के बारें में:-
1. दालचीनी (Cinnamon):- दूसरे मसालों की तुलना में दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा सबसे अधिक पायी जाती है. यह एक सुगन्धित मसाला है, जिसका उपयोग खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही कई तरह की आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाइयों में भी दालचीनी का प्रयोग किया जाता है. दालचीनी एक पसंदीदा घरेलु मसाला है, जिसका प्रयोग दुनिया भर में सदियों से होता आ रहा है. इसमें अधिक मात्रा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को शरीर की बीमारियों से बचाते हैं.
इसके औषधीय गुण:-
- इसके औषधीय गुण कैंसर से बचाव करते हैं.
- मधुमेह को नियंत्रित करता है.
- हार्ट का खास ख्याल रखता है.
- इससे बनी चाय का इस्तेमाल दिमाग की कार्यशीलता को बढ़ाता है.
- यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.
- इसके पाउडर का सेवन करने से गठिया के दर्द में राहत मिलती है.
- साँस में हुए किसी भी प्रकार के संक्रमण को दूर करने में बहुत मददगार साबित होता है.
- पेट व मूड के खराब होने पर दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है.
हल्दी के औषधीय गुण:-
- इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए हल्दी का दूध पीना फायदेमंद होता है.
- चोट लगने पर प्रभावित जगह पर हल्दी का पावडर लगाना लाभप्रद होता है.
- इसमें कुर्कुमिन नामक एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो बढ़ते उम्र के प्रभावों को काफी हद तक कम करने में सहायक होता है.
- हल्दी कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है.
- यह एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर है. हल्दी लीवर को स्वस्थ्य रखने में सहायक होता है.
- कैंसर के मरीजों के लिए भी हल्दी फायदेमंद होती है.
- सूजन को कम करने में भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है.
- वजन कम करने में भी हल्दी का इस्तेमाल भोजन के माध्यम से किया जाता है.
- हल्दी पाचन क्रिया को भी मजबूत करती है.
- इसके सेवन से अल्जाइमर्स रोग से भी बचाव होता है.
जीरा के औषधीय गुण:-
- जीरा शरीर की रोग - प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है.
- स्तनपान करानेवाली महिलाओं को जीरा का सेवन करना फायदेमंद होता है.
- वजन घटाने में भी जीरा अहम भूमिका निभाता है.
- साँस की बिमारी में भी जीरा फायदेमंद होता है.
- एनीमिया को दूर करके जीरा आपको ऊर्जावान रखता है.
- जीरा का पावडर पाचन क्रिया को ठीक करता है.
- इसका पावडर हड्डियों को स्वस्थ बनाता है.
- जीरे की चाय के सेवन से अनिद्रा की समस्या दूर होती है.
- जीरे का इस्तेमाल याददाश्त बढ़ाने में भी काम आता है.
- जीरा डायबिटीज कण्ट्रोल में भी काम आता है.
काली मिर्च के औषधीय गुण:-
- इसके सेवन से पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव बढ़ता है.
- इसकी तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से कफ व सर्दी जुकाम में राहत मिलती है,
- काली मिर्च गठिया के रोगी को फायदा पहुँचाती है.
- स्किन पे काली मिर्च का तेल लगाने से गर्माहट मिलती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है.
- पेट में जब गैस बन जाता है तो काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिए, ये गैस को बाहर निकाल देती है.
- पिपरिन नामक केमिकल की उपस्थिति में काली मिर्च शरीर में विटामिन A, C एंड बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों को बढ़ाती है.
- काली मिर्च के बाहरी परत में फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो वसा कोशिकाओं को तोड़ने में काफी मदद करते हैं, जिससे वजन कम होता है.
- पिपरिन की मदद से सेरोटॉनिक का उत्पादन बढ़ता है, जो की एक तरह का एंटी डिप्रेसेंट है. जिससे मूड ठीक होता है और उदासी कम होती है.
- इसके सेवन से अल्जाइमर्स के रोग को भी ठीक किया जा सकता है.
5. धनिया (Coriander):-हरी धनिया और धनिया पाउडर के बिना व्यंजन का स्वाद फीका रह जाता है साथ ही इसके इस्तेमाल से व्यंजन से आने वाली खुशबू बढ़ जाती है. ज्यादातर व्यंजन को गार्निश करने के लिए हम धनिया के हरी पत्तियों का प्रयोग करते हैं. जिससे हमारे व्यंजन का स्वाद और उसकी खुशबू एवं देखने में सुंदरता सभी बढ़ जाते हैं. धनिया को सीलैंट्रो नाम से भी जाना जाता है. यह स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद है. धनिया के बीज में एंटी ऑक्सीडेंट गुण और आहार फाइबर होते हैं, जो लीवर के स्वस्थ काम को a आगे हैं है और मल त्याग की सुविधा प्रदान करते हैं. ये पाचन यौगिकों और रस की पीढ़ी में मदद करते हैं. जो पाचन की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं. यदि आपका भोजन सही तरीके से न पचा हो तो आप अपने खाना में धनिया के बीज शामिल करें. आपको फर्क जरूर महसूस होगा.
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