महिलाओं को अपने जीवनकाल में बहुत सी शारीरिक बिमारियों से जूझना पड़ता है. और इन्हीं में से एक PCOS है. अर्थात पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम , जिसे PCOD अर्थात पोलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ भी कहा जाता है. महिलाओं को होने वाली ये एक आम बिमारी है.
क्या है ......पोलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ (PCOS/ PCOD) ?
महिलाओं को ये बिमारी प्रजनन हार्मोन'स के संतुलन में गड़बड़ी और मेटाबोलिज्म खराब होने पर होती है. हार्मोन'स असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र प्रभावित हो जाता है . साथ ही महिलाओं के तनाव और खराब जीवनशैली के कारण भी यह बिमारी महिलाओं में हो जाती है. खराब जीवनशैली के कारण महिलाओं का मासिक धर्म अनियमित हो जाता है.
सामान्य स्थिति में प्रतिमाह पीरियड्स के बाद ओवरी में एग्स का निर्माण होता है और अंडे बाहर निकलते है. परन्तु जिस महिला को PCOS की समस्या होती है , उसकी ओवरी में न तो एग्स डेवलप होते है पूरी तरह से और न ही बाहर निकल पाते हैं.
किसी भी महिला या लड़की के गर्भाशय में मेल हार्मोन एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ने से ओवरी में गांठे बनने लगती है , जिससे मासिक चक्र रुक जाता है. पहले के समय में यह समस्या 30- 35 साल की रिप्रोडक्टिव महिलाओं में होती थी परन्तु आज के दौर में भाग -दौड़ भरी दिनचर्या के कारण महिलायें खुद पर ध्यान नहीं दे पाती हैं , जिसका प्रत्यक्ष असर उनके माहवारी पे पड़ता है.
PCOS / PCOD के प्रकार:
वैज्ञानिक शोध के अनुसार PCOS के कई प्रकार है :-
इन्सुलिन प्रतिरोधक PCOS :-
शरीर में इन्सुलिन का स्तर प्रभावित होने से ब्लड शुगर का संतुलन बिगड़ जाता है , जिससे इन्सुलिन ऑवलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है.
रोग प्रतिरोधक सम्बन्धी PCOS :-
जब शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता कम होने लगती है , तो शरीर में ऑटो एंटीबॉडीज का निर्माण होने लगता है , जो शरीर में प्रोटीन के खिलाफ काम करता है , जो एक प्रमुख कारण हो सकता है , महिलाओं में PCOS की समस्या होने की.
PCOS/ PCOD के प्रमुख कारण :-
1. आनुवंशिक :-
सामान्यतः हार्मोन'स असंतुलन को ही इस समस्या की मुख्य वजह माना गया है , फिर भी इसे अनुवांशिक भी कहा गया है , क्यूंकि अगर आपकी माँ को यह समस्या है तो संभवतः यह आपको भी हो सकता है. जबकि वैज्ञानिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
2. मेल हार्मोन :-
जब महिलाओं की ओवरी में मेल हार्मोन , जिसे एण्ड्रोजन कहा जाता है बढ़ जाता है , तो भी PCOS की समस्या उत्पन्न हो जाती है . अर्थात जब महिला की ओवरी में मेल हार्मोन का उत्पादन अधिक होने लगता है , तो ओवलूशन प्रोसेस के दौरान एग्स बाहर नहीं निकल पाते हैं, तो इस स्थिति को hyperandrogenism कहा जाता है.
3. इन्सुलिन :-
वैज्ञानिक शोध में इन्सुलिन को भी PCOS कि समस्या का एक कारण माना गया है. शरीर में मौजूद इन्सुलिन हार्मोन , शुगर , स्टार्च और भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करता है. इन्सुलिन के असंतुलित होने से मेल हार्मोन एण्ड्रोजन की मात्रा बढ़ने लग जाती है जिससे ओवलूशन प्रक्रिया प्रभावित होती है , जिससे महिलाओं को PCOS की समस्या का सामना करना पड़ जाता है.
4. खराब जीवनशैली :-
भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी , अत्यधिक जंक फूड का प्रयोग , शारीरिक व्यायाम न करना साथ ही आज के दौर में कॉर्पोरेट वर्ल्ड में आए दिन पार्टियाँ होती रहती है जिसमें जॉब करने वाली फीमेल इन पार्टियों को अटेंड करती है , जिसकी वजह से महिलाओं का देर रात तक जागना तथा शराब - सिग्रेट का प्रयोग करना भी महिलाओं की दिनचर्या को बिगाड़ देती हैं . जिसका असर उनकी माहवारी पे पड़ता है और उनमें PCOS की समस्या उत्पन्न हो जाती है.
PCOS/ PCOD से जुड़ी जटिलताएँ :-
सही समय पर इलाज न होने पर कई सारी परेशानियाँ आ सकती हैं , जैसे :-
1. Type -2 डायबिटीज
2. हाई ब्लड प्रेशर
3. कोलेस्ट्रॉल
4. हार्ट रिलेटेड प्रोब्लेम्स
5. खराब मेटाबोलिज्म
6. लीवर में सूजन
7. स्लीप एप्रिनिया यानी सोते समय सांस लेने में दिक्कत
8. गर्भाशय में असामान्य रक्तस्राव
9.एस्ट्रोजन हार्मोन के अत्यधिक बढ़ने पर गर्भाशय का कैंसर
10.एक्टोपिक प्रेगनेंसी
PCOS/ PCOD के लक्षण :-
- अनियमित पीरियड्स
- योनि से अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना
- सामान्य परिस्थिति में अंडे के विकसित होने के बाद अंडाशय में प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन उत्पन्न होने लगता है इसके बाद प्रोजेस्ट्रोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे पीरियड्स शुरू हो जाता है. वहीं , अंडों के विकसित न होने पर गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है , जिसे हाइपरप्लासिआ कहते हैं , परिणामतः महिला को अधिक व लम्बे समय तक रक्तस्राव होता है .
- स्किन का तैलिये होना साथ ही चेहरे पर कील - मुहांसों का निकलना
- अनचाहे बाल का उग आना
- नेचर में चिड़चिड़ापन आ जाना
- वजन का बढ़ जाना
- बांझपन का आ जाना
PCOS/ PCOD के लिए घरेलू इलाज :-
PCOS की समस्या से बचना महिलाओं के लिए आसान नहीं होता , फिर भी आहार में बदलाव लाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है . औसतन हर 5 में से 2 भारतीय महिलाओं को इस समस्या से रूबरू होना पड़ता है . आंकड़ों के हिसाब से 60 फीसदी से ज्यादा PCOS पीड़ित महिलाओं में विटामिन B की कमी पायी जाती है . PCOS की समस्या का समाधान हम कुछ घरेलू नुस्खों को अपना कर भी कर सकते हैं जैसे :-
1. दालचीनी :-
पीसी हुई दालचीनी का एक चम्मच पाऊडर एक गिलास गर्म पानी के साथ लेने से बढ़ते हुए इन्सुलिन के स्तर को रोका जा सकता है .
2. आलसी :-
आलसी के बीजों को पीस कर पाऊडर बना लें और इस दो चम्मच पाऊडर को एक गिलास पानी के साथ प्रयोग करें , इससे मेल हार्मोन में कमी आएगी .
3. पुदीने की चाय :-
पुदीने की चाय एंटी एण्ड्रोजन का काम करती है . पुदीने की कुछ सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर उसे छान लें और पियें , इससे PCOS की समस्या में राहत मिलेगी .
4. मेथी :-
मेथी शरीर के लिए बहुत उपयोगी है , यह इन्सुलिन के स्तर को बढ़ने से रोकती है , हार्मोन को संतुलित करती है और मेटाबोलिज्म में सुधार लाती है . तीन चम्मच मेथी के बीजों को 8- 10 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रखें तथा फिर उसे पीस कर शहद के साथ दिन में तीन बार लेना चाहिए .
5. मुलेठी :-
मुलेठी का काम एण्ड्रोजन को कम करना होता है , कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना होता है साथ ही मेटाबॉलिज़्म प्रक्रिया में सुधार लाना होता है . हर दिन सूखी मुलेठी को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से काफी लाभ मिलता है.