आजकल महिलाओं में अनियमित मासिक कि समस्या ने वृहत रूप ले लिया है। लगातार मासिक का अनियमित होना स्वास्थय के लिए बूरा साबित होता है. सामान्यतः महिलाओं में मासिक धर्म कि शुरुआत 12- 13 साल की उम्र से हो जाती है , जो 48- 50 साल की उम्र तक रहती है. मासिक धर्म को सामान्यतः पीरियड्स या माहवारी कहते है. यह चक्र महीने में एक बार होता है और 3- 5 दिन तक रहता है . वर्तमान जीवनशैली के कारण कम उम्र कि लड़कियों में यह चक्र जल्दी या देर से आता है जिसे मासिक धर्म का अनियमित होना कहते है. एक स्वस्थ्य महिला के पीरियड्स का Duration 21 से 35 दिन के बीच होता है. आजकल असामान्य जीवनशैली के कारण 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. जिसके पीछे कई सारे कारन है जैसे हार्मोनल असंतुलन , लाइफस्टाइल में परिवर्तन साथ ही मेडिसिन्स का इफ़ेक्ट. अधिक तनाव के कारन भी मासिक धर्म प्रभावित होती है. हार्मोन'स का संतुलन बिगड़ने पर पीरियड्स में परेशानी शुरू होने लगती है. अनियमित माहवारी के लिए जिम्मेदार हार्मोन'स के नाम इस प्रकार है : - एस्ट्रोजन , प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन. इन्हीं हार्मोन'स का संतुलन बिगड़ने पर पीरियड्स में परेशानी होने लगाती है. महिला के थाइरॉइड्स से ग्रसित होने या ज्यादा समय तक बीमार रहने के कारण भी माहवारी अनियमित हो जाती है. 3 दिन से कम और 5 दिन से ज्यादा दिन तक ब्लीडिंग होने पर माहवारी अनियमित मानी जाती है. सामान्य और स्वस्थ्य पीरियड्स प्रत्येक 25 से 35 दिन के अंतराल में आता है. अनियमित पीरियड्स के कारण गर्भधारण में भी दिक्कत आती है. कुछ उपायों के द्वारा महिलायें इस समस्या का समाधान कर सकती है , जैसे महिलाओं को अपने अंडा उत्सर्जन के लिए ज्यादा सतर्क रहना चाहिए साथ ही उन्हें अपने खान पान का ख्याल रखना चाहिए. जंकफूड से बचना चाहिए और अपने वजन का ख्याल रखना चाहिए. मोटापे से महिलाओं में Estrogen हार्मोन ज्यादा बनने की संभावना बढ़ जाती है. अनियमित माहवारी के कारण महिलाओं को Uterus में दर्द रहता है. स्तन , पेट , हाथ- पैर और क़मऱ में दर्द रहता है. थकान ज्यादा महसूस होती है. भूख कम लगती है. कब्ज़ या दस्त की समस्या भी हो जाती है. टेंशन या स्ट्रेस का इफ़ेक्ट आदमी के मुकाबले औरतों को ज्यादा प्रभावित करता है. ऐसे में पुरषों के मुकाबले औरतों में ज्यादा टेंशन और स्ट्रेस देखा जाता है. जिसका सबसे ज्यादा इफ़ेक्ट उनके मंथली पीरियड्स पे होता है. अनियमित पीरियड्स लगभग महिला की समस्या है , पर इससे निपटने के लिए Doctor के पास जाने की जरुरत नहीं है बल्कि आप इसे ठीक कर सकते हैं. कुछ घरेलू नुस्खों को अपना कर,आईये जानें :-
- दालचीनी एक रामबाण औषधि है , जो आसानी से हमारे किचन में उपलब्ध होता है. यह अनियमित periods को नितमित क़रने में कारगर साबित होता है. इसके उपयोग से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से निजात पाया जा सकता है. यह इन्सुलिन लेवल को बढाने में भी काम आता है. दालचीनी को पीस कर इसका आधा चम्मच Powder एक गिलास दूध में मिलाकर पीने से अनियमित पीरियड्स पर सकारत्मक इफ़ेक्ट होता है. आप उसे खाने के ऊपर से डाल कर खा सकते है. साथ ही आप चाय के साथ भी इसे प्रयोग कर सकते है. आप इसे चबा कर भी खा सकते है.दालचीनी के प्रयोग से पीरियड्स का फ्लो सही हो जाता है.
- अदरक / सूखा अदरक (सौंठ) :- अदरक या सौंठ के इस्तेमाल से अनियमित पीरियड्स को नियमित किया जा सकता है. इसके इस्तेमाल से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है. साथ ही ये पीरियड्स के फ्लो को सही क़रने में भी मदद करता है. इसे कच्चा या चाय में डाल कर यूज़ कर सकते है. इसका जूस निकाल कर भी पी सकते है.
- कच्चा पपीता :- कच्चे पपीते का इस्तेमाल उत्तम माना जाता है अनियमित पीरियड्स को नियमित करने में. इसमें कुछ पौष्टिक तत्त्व पाए जाते है जैसे :- आयरन , कैरोटीन , कैल्शियम तथा विटामिन A और C, जो गर्भाशय की सिकुड़ी हुई मांसपेशियों को फाइबर पहुंचाने का काम करता है. पपीते को डायरेक्ट खाएं या जूस बना कर पीये .
- इमली या खट्टे खाद्य पदार्थ :- इमली को चीनी के साथ पानी में भीगने के लिए एक घंटे तक रख दें फिर इसमे taste के हिसाब से नमक और चीनी का इस्तेमाल करें. फिर इस पेस्ट में भूना हुआ जीरा का पावडर मिक्स करें और इस ड्रिंक को दो दिन में एक बार प्रयोग करें.
- चकुंदर :- इसमें कुछ पोषक तत्व जैसे :- आयरन और फोलिक एसिड etc पाए जाते हैं. जो irregular पीरियड्स को रेगुलर करने में काफी कारगर साबित होता है. चकुंदर का प्रयोग आप कई तरीकों से कर सकते है. जैसे सलाद खा सकते है, सब्जी बना कर खा सकते है. इसका जूस निकाल कर पी सकते है. साथ ही उसे कद्दूकस कर के दही के साथ भी इस्तेमाल कर सकते है.
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