Monday 13 December 2021

नीम: एक सर्वगुण देशी औषधि !

 नीम एक ऐसी औषद्यि है जिसके कई फायदे हैं. इसका सेवन करके आप खुद को कई सारी बीमारियों से बचा सकते है. नीम की जड़, नीम की छाल, नीम की पत्तियाँ एवं इसके फ़ूल साथ ही इसके बीज की गुठली और बीज का तेल इन सबका अपना अलग अलग महत्व है. इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो की  शरीर को कई प्रकार में कीटाणुओं से बचाते हैं. नीम वृक्ष (अजादिराछ इंडिका ) एक सदाबहार पेड़ है जो महोगनी परिवार का हिस्सा है. भारत में नीम को देसी औषधि के नाम से भी जाना जाता है. नीम का उपयोग स्किन सम्बन्धी बीमारियाँ, इंफेक्शन, मलेरिया एवम एक्जिमा जैसी बीमारियों में किया जाता है. नीम के पत्तों में पाए जाने वाले तत्त्व कई तरह के फंगल इन्फेक्शन को रोकने में सहायक होते है. नीम हर प्रकार से शरीर को रोगों से दूर रखने में सहायक होते है. 

तो आइये जानते है नीम के कुछ फायदे साथ ही कुछ नुकसान के बारे में :-

नीम के फायदे:
1.  बालों के डैंड्रफ को कम करना :- नीम में एंटीबैक्टीरियल एंड एंटीफंगल गुण होते है, जिसका उपयोग शैम्पू एंड सकल्प क्लीनर के रूप में किया जाता है. जिससे यह स्किन को Hidrate कर के डैंड्रफ ख़त्म कर देता है. जिससे बाल मजबूत हो जाते है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण बालो को टूटने से रोकता है. 


 उपयोग का तरीका :- मुट्ठी भर नीम की पत्तियों को एक लीटर पानी में उबालें जब तक पानी का रंग हरा नहीं हो जाए. इसके बाद इस पानी को ठंडा कर के अपने बालों को धोएं. 


2. कील मुहासों को मिटाना :- नीम स्किन रिलेटेड गंभीर बीमारियों को दूर करने में महत्वपूर्ण होता है. नीम का पेस्ट स्किन पे लगाने से स्किन की चिपचिपाहट दूर हो जाती है. नीम में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट गुण स्किन के दाग धब्बों को मिटा देता है , जिससे स्किन साफ़ दिखती है. नीम के तेल में फैट्टी एसिड और अधिक मात्रा में विटामिन E होने के कारण इसे एंटी एजिंग के तौर पे उपयोग किया जा सकता है . जिससे बढ़ती उम्र के इफ़ेक्ट को कम किया जा सकता है.

उपयोग का तरीका :-

नीम की ताजा पत्तियों को पीस  कर पेस्ट बना लें और उसे अपने चेहरे पर लगाएं. चेहरे पर लगे पेस्ट के सूख जानें के बाद ठंढे पानी से चेहरे को धो लें और इसका इस्तेमाल समस्या दूर होने तक करें.                         

3कब्ज का दूर करना :-

नीम का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट  में जलन और सूजन की समस्या उत्पन्न नहीं होती है. जो अल्सर और कब्ज , मरोड़ और सूजन जैसी आंत की बीमारियों से दूर रखता है. साथ ही यह पेट के अच्छे बैक्टीरिया को ख़त्म करने वाले संक्रमण से पेट की रक्षा करता है.

उपयोग का तरीका :-

खाली पेट में नीम के 4- 5 ताजे पत्तों को चबा कर रस पी ले या उसे खा लें. इसके अलावा दिन में 2 बार , एक से दो सप्ताह के लिए नीम की चाय पीने से भी पेट के कीटाणुओं से पेट को बचाया जा सकता है. 

4. कैंसर से रक्षा :- 

रिसर्च में बताया गया है कि नीम में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है , जो शरीर में कैंसर होने की संभावना को कम करता है और फ्री रेडिकल के हानिकारक प्रभाव को रोकता है जिससे कैंसर से शरीर का बचाव हो जाता है. नीम हार्ट रोग को भी कम करता है. यह कार्डिओ वैस्कुलर सिस्टम को क्लीन करता है और बीमारियों से बचाता है . कैंसर के खतरे को ख़त्म करने के लिए नीम का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से एडवाइस जरूर लें.   

5. नीम फॉर फंगल इन्फेक्शन :- 

नीम के एंटी फंगल गुण के कारण स्किन पर इन्फेक्शन नहीं होता .  

उपयोग का तरीका :-

शरीर में इन्फेक्शन होने पर नीम का पेस्ट या नीम का तेल पूरे शरीर में लगाने से संक्रमण की समस्या दूर हो जाती है. इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. 

6. डायबिटीज़ के इलाज में :-

डायबिटीज की बीमारी में भी नीम फायदेमंद है , क्यूंकि यह इंसुलिन का लेवल बढ़ा देता है. नियमित रूप से नीम के पत्तों का इस्तेमाल से डायबिटीज को कण्ट्रोल किया जा सकता है .नीम में मौजूद केमिकल इंसुलिन को सक्रिय (Active)  कर देता है , जिससे शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है और डायबिटीज की समस्या उत्पन्न नहीं होती है .

उपयोग का तरीका :-

डायबिटीक पेशेंट को 4 - 5 नीम के नरम पत्तों को खाली पेट में चबाने से शुगर कंट्रोल हो जाता है.   

7. नीम फॉर मलेरिया :-

नीम मच्छरों से होने वाली बीमारियों को दूर करने में काफी मददगार साबित होता है. नीम के धुंए से मच्छर आसानी से भाग जाते है. 

उपयोग का तरीका :-

नीम की पत्तियों को आग जला कर उसमें डाल दीजिये फिर आप देखेंगे की मच्छर उस जगह से भाग गए है. 

 8. नीम फॉर आर्थराइटिस :-

नीम की पत्तियों में एंटी इंफ्लैमेट्री गुण मौजूद होता है जो आर्थराइटिस के इलाज में काफी मददगार साबित होता है .

उपयोग का तरीका :-

नीम का पेस्ट या तेल पैरों के जोड़ों में लगाने से मांसपेशियों से आर्थराइटिस का दर्द ख़त्म हो जाता है. 

अन्य घरेलू उपयोग:

  • नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
  • नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
  • नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
  • नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
  • नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
  • बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
  • गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
  • नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
  • नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
  • नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी में लाभ मिलता है(नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस)
  • नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।

नीम के नुक्सान :-
1. नीम का दुष्प्रभाव छोटे बच्चों के लीवर और किडनी पर काफी होता है.
2. नीम का प्रयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता है. इस लिए इसका सेवन सही मात्रा में जरुरी है , वरना थकान और सुस्ती हो सकती है . 
3. नीम का तेल अधिक मात्रा में प्रयोग करने से शरीर में सुन्नता का अनुभव हो सकता है.

4. अधिक सेवन से पेट में जलन भी हो सकती है. 
5. एंटी ऑक्सीडेंट गुण के कारण किडनी और लीवर सहित शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित हो सकते है .

 यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है, परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है। तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है की एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है, जिनमे मार्गोसिंनिम्बिडीननिम्बेस्टेरोल प्रमुख है। नीम के सर्वरोगहारी गुणों से भरा पड़ा है। यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं, जो दाँतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं, जिससे दाँत स्वस्थ व मज़बूत रहते हैं।



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